मर्डर मिस्ट्री - 1 Vismay द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मर्डर मिस्ट्री - 1

" लगातार बज रहीं टेलीफोन की घंटी की वजह से हवलदार मातरे की नींद खुल गई."

उसने नींद में ही फोन उठा लिया और अपने कान पर रख दिया ,और उबासी लेते हुए बोला कि हां पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूँ बोलो, क्या काम है?

सामने से किसी की डरी हुई आवाज आ रही थी . डर उसकी आवाज में साफ झलक रहा था.
सामने से आ रही आवाज ने हवलदार को कुछ बताया फिर हवलदार ने फोन रखते के तुरंत बाद अपनी टोपी संभाली और इंस्पेक्टर समीर शेखावत की केबीन की तरफ दौड़ पड़ा.
मातरे की दौड़ की वजह से आसपास बैठे हुए हवलदारों को यह बात जानने में देर न लगी कि मामला थोड़ा संगीन है , वरना मातरे यूं ही कभी नहीं दौड़ता , क्योंकि वह 55 साल का बूढा था और उसकी तोंद भी बाहर निकली हुई थी और पुलिस स्टेशन में वो सबसे आलसी था.

मातरेने समीर सर के केबिन का दरवाजा खोला और जाते हीं सबसे पहले सलामी दी. समीरने फाइलों में से अपना मुंह उपर किया और मातरे को देखकर इशारों में ही कहा कि बोलो क्या बात है ?

सर बोपल में एक लाश मिली है, थोड़ी देर पहले अमन नाम के किसी लड़के का फोन था उसी ने यह बात बताई. समीर ने जितनी भी फाइल निकाली थी वह सब टेबल के साइड में रखदी. समीर अपनी खुरशी से उठ खड़ा हुआ , उसने टेबल पर रखी चाय का आखिरी घूँट मारा, समीर के दिमाग में अभी बहुत कुछ चल रहा था. समीर ने बिना किसी देर कीए मातरे को पुलिस जीप निकालने को कह दिया. मातरे ,मिश्रा जी, और दो हवलदार समीर के साथ निकल पड़े बोपल की तरफ पुलिस जीप में. समीरने एक महिने पहले ही इंनसपेकटर की duty जोइन की थी. ये समीर का सबसे पहला मडँर केस था. समीर भी कोइ कच्चा खिलाड़ी नहीं था, उसने तो बचपन से ही अपने पापा के साथ मडँर की फाइले पढना शुरू कर दिया था. समीर के पापा भी inspe थे .समीर ने सबकुछ अपने पापा से हीं सीखा था, बचपन से लेकर अब तक न जाने कितनी हीं फाइलें पढी थी उसने. समीर को इतना तो पता था कि फाइल पढना और मडँर investigation करना दोनो में बहुत फ़र्क हैं.फिर भी खुद को तसल्ली देते हुए वो पहुंच चुके थे घटना वाली जगह पर ,पर पुलिस से पहले मीडिया वाले पहुँच चुके थे और हल्ला मचा रहे थे. पुलिस जीप से नीचे समीर साउथ मूवी की style में पेर से दरवाज़ा खोला और मुँह में जलती हुइ सिगरेट. देखने वालो के लिए ये किसी मूवी के सीन से कम नहीं था. मातरे ने सर की ये style देखकर जोर से सीटी बजाने की कोशिश की पर हवा के सिवाय कुछ नहीं निकला. मिश्रा जी और बाकी हवलदार मातरे को देखकर हस पड़े. समीर ने अपनी आँखों से ही सबको ये बता दिया की हम केस solve करने आये हैं, हसने और सीटी बजाने नहीं. पुलिस को देखकर मिडिया वाले उनपर टूट पड़े और एकके बाद एकसवालो कीछडीलगादी.
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